पं. केशव प्रसाद शर्मा (संस्थापक) : पुण्य स्मरण
(1920-1993)

स्वामी सहजानन्द स्नातकोत्तर महाविद्यालय, गाजीपुर के संस्थापक स्व. पं. केशव प्रसाद शर्मा के पितृव्य स्व० चन्द्रिका प्रसाद राय एवं स्व० ब्रह्मदेव राय पर स्वामी जी के आचरण का गहरा प्रभाव था। उन्हीं दिनों यह ख्याति कि स्वामी जी गाजीपुर जनपद के देवा गाँव के सन्यासी तथा पुराणादि के प्रकाण्ड विद्वान हैं, सर्वत्र फैल गई। वे किसानों को जमींदारों के अत्याचारों से मुक्त कराने से किसान सभा की स्थापना द्वारा जमींदारों के विरुद्ध संघर्ष करने में भी सक्रिय हुए। स्वामी जी के इन कार्यों की जानकारी ने केशव प्रसाद शर्मा को प्रभावित किया और स्वामी जी के प्रति श्रद्धावान बना दिया।

स्वामी जी शनैः शनैः उनके परिवार के सदस्यों के निकट सम्पर्क में आते गये। यहाँ तक सम्पर्क बढ़ा कि कलकत्ता आने पर वे उनके हाबड़ा आवास पर ठहरने लगे। उनके पिता श्री विक्रमादित्य शर्मा तथा पितृव्यद्वय श्री चन्द्रिका प्रसाद शर्मा हाबड़ा में रहते थे। स्वामी जी के हाबड़ा प्रवास में शर्मा जी को उनसे बहुत कुछ सुनने समझने का तथा सेवा करने का अवसर मिला शर्मा जी को अनुभव हुआ कि स्वामी जी पलायन करने वाले सन्यासी न होकर एक कर्मनिष्ठ सन्यासी हैं। स्वामी जी सन् 1950 में ब्रह्मलीन हो गये। शर्मा जी को आशा थी कि उनके जनपद के लोग गाजीपुर जिले में उनका कोई स्मारक निर्मित करेंगे। जनपद मुख्यालय पर एकमात्र शिक्षा संस्थान था जहाँ बहुसंख्य छात्र प्रवेश पाने से वंचित रह जाते थे। शर्मा जी एक कर्त्तव्यनिष्ठ शिक्षाव्रती थे। 20 वर्षों की प्रतीक्षा के बाद भी जब किसी को उस दिशा में पहल करते न देखा, तब उन्होंने गाजीपुर नगर में उनके नाम पर महाविद्यालय खोलने का संकल्प लिया। हाबड़ा, कलकत्ता और गाजीपुर जनपद के लोगों ने इस दृढ़संकल्पी, उद्यमी व्यक्ति को इतना अधिक सहयोग और प्रोत्साहन दिया कि सन् 1972 में आते आते वे संकल्प को 'स्वामी सहजानन्द सरस्वती विद्यापीठ महाविद्यालय के रूप में मूर्तिमान करने में समर्थ हुए। 1996 में स्नातकोत्तर कक्षाओं के आरम्भ होने पर महाविद्यालय अब 'स्वामी सहजानन्द स्नातकोत्तर महाविद्यालय' के नाम से जाना जा रहा है। यह महाविद्यालय स्वामी जी के प्रति शर्मा जी की अटूट श्रद्धा का प्रतीक है।

उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले के डेढ़गाँवा ग्राम में 1 दिसम्बर 1920 को जन्मे शर्मा जी ने अपना जीवन कलकत्ता में अध्यापक के रूप में प्रारम्भ किया। बाद में विक्रम विद्यालय सलकिया, हाबड़ा के प्राचार्य हो गये और उसी पद पर अन्त तक बने रहे। इस विद्यालय का हर दृष्टि से अभूतपूर्व विकास करते हुए विक्रम विद्यालय ब्रांच और विक्रम बालिका विद्यालय की स्थापना इन्होंने की। पं. बंगाल के हाबड़ा नगर में ही उन्होंने हिन्दी माध्यम का एकमात्र टीचर्स ट्रेनिंग विद्यालय खोला और बारहवीं कक्षा तक एक बालिका विद्यालय भी प्रारम्भ किया। इसके प्रबंधक के रूप में अवकाश ग्रहण के बाद वे निरन्तर कार्यरत रहे। कुशल अध्यापक, सफल प्रशासक, शिक्षाविद् और देशभक्त स्व. पं. केशव प्रसाद शर्मा परमात्मा की दिव्य विभूति थे।

।। इति ।।